शहर से जंगल तक बिछी है 52 पत्तों की मायाजाल..
धमतरी जिले में इन दिनों 52 पत्तों का खेल हर गली, हर कोने, यहां तक कि जंगलों की आड़ में भी खुलेआम सज रहा है...... नोटों की बौछार, दांव पर किस्मत की बाज़ी और पुलिस की खामोशी... सवाल खड़ा करती है कि आखिर ये जुआफड़ किसकी इजाज़त से चल रहा है ?
सूत्रों की मानें तो यह खेल तब तक नहीं सजता जब तक सायबर सेल और थाना प्रभारी की हरी झंडी न मिल जाये..... यानी खेल शुरू होने से पहले ही डील फाइनल होती है — कौन खेलेगा, कहां खेलेगा, और किसे देखना है... सब तय रहता है.... शहर से लेकर जंगल के सन्नाटे तक 52 का का जाल बिछा है..... रात के सन्नाटे में चौपड़ी खुलती है और सुबह तक लाखों का लेनदेन हो जाता है..... मगर पुलिस प्रशासन की चाल सुस्त है — दिखावे के लिए कुछ औपचारिक कार्रवाई ज़रूर होती है, लेकिन हकीकत में यह सिर्फ कागज़ी करतब है.....
वही दूसरी तरफ, शहर में नशे का कारोबार और चाकूबाज़ी जैसी वारदातें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं.... लोग खौफ में हैं, मगर पुलिस का रवैया अब भी ढील-ढाल है...... सवाल यह उठता है — क्या वाकई कानून के रखवाले इस खेल के मूक साझेदार बन चुके हैं ?
*आख़िर कब तक शहर की गलियों में किस्मत के पत्ते खुलते रहेंगे... और पुलिस आंख मूंदे बैठेगी ?*

