गुरमुख सिंह होरा जी के द्वारा नामांकन दाखिल को स्थगित करने से कार्यकर्ताओं में संशय की स्थिति बनी हुई है। वही कांग्रेस प्रत्याशी के अधिकृत प्रत्याशी ओंकार साहू के द्वारा कांग्रेस कार्यालय उद्घाटन के पश्चात जनसंपर्क अभियान प्रारंभ कर दिया गया है। या नही लोग अनिभिज्ञ हैं।
वही दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी अपना प्रचार प्रसार में कही भी कसर नही छोड़ रही हैं। हालांकि की जनता जनार्दन के मन मे क्या है ये जानना बेहद मुश्किल है। कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार साहू के लिए भी रणनीति बनाया जा रहा हैं ताकि वे भी हर स्तर पर मतदाताओं से रूबरू होकर अपना चुनावी प्रचार का डंका बजा सके। इस बार की जो चुनौती हैं प्रत्याशियों के लिए बहुत कठिनाईयो से भरा जरूर हैं। ऐसे में सभी प्रत्याशियों के लिए एक शायरी जरूर याद आ जाती हैं..
"मुश्किलें राहे आसान भी हो जाती है, हर राह पर पहचान हो जाती है, जो लोग मुस्कुरा कर करते हैं उसका सामना, किस्मत भी उनकी गुलाम हो जाती है"
आज हर वह प्रत्याशी अपनी जीत के लिए चुनावी मैदान में जनता जनार्दन को अपनी बातों एवं अपने तजुर्बे से अपनी और सम्मोहित करने के लिए प्रयास में लगे हुए हैं। कौन से प्रत्याशी की कौन सी बातें उन्हें भाग जाएं और वह उन्हें अपना जनप्रतिनिधि के रूप में पसंद करें यह सब उन पर ही निर्भर करता है। हर चुनाव धन और बाहुबल से नहीं जीती जा सकती। पता चला है कि कुछ प्रत्याशी अभी से ही अपना रौद्ररूप और पावर दिखाने में कहीं कमी नहीं कर रहे हैं। क्या ऐसे प्रत्याशियों को क्या जनता पसंद करेगी जो चुनाव के पहले ही अपना रुतबा और पावर दिखाकर उन्हें चेतावनी दे रही है। वहीं कुछ लोग हाथ पैर जोड़कर भी जनता जनार्दन के बीच जहां तो जरूर रहे हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद यही जनप्रतिनिधि उनसे मिलने के लिए अपनी दूरियां बनाकर रखते हैं ...ऐसे जनप्रतिनिधि से भी जनता त्रस्त हो चुकी है। कुछ जनप्रिय प्रत्याशी थे जिनके नाम को दोनों पार्टियों ने काटछांट कर दरकिनार कर दिया है। ऐसे में जनमानस काफी दुविधा में है ऐसे में उनका कीमती मत कही नोटा की झोली में न चली जाए। जनमानस दोनों पार्टी के प्रत्याशी के लिए कुछ कहने को तैयार नही। वही तीसरी मंजिल की तलाश भी उन्हें हैं लेकिन अभी भी तक उनकी तलाश अधूरी मानी जा रही हैं। अब 30 तारीख के बाद ही यह साफ होगा कि किस चेहरे को जनता जनार्दन अपना अमूल्य समर्थन देने के लिए अपना कदम बढ़ाकर उसका दामन पकड़ने के लिए आगे आये। बरहाल इसी बीच कोई चमत्कार हो जाए और कोई जनानुरुप प्रत्याशी सामने आ जाये तभी कुछ कह पाना मुमकिन हो पायेगा। फिर हाल अभी चुप ही रहना ही लाजिमी हैं।