पढ़ाई में असफल.. इरादों में अव्वल.. मजदूर का साहसिक सायकल यात्रा.. बिना लाइट, बिना मैप के 6 राज्यों में नशा मुक्ति की मुहिम का संदेश देने पॅहुचे ...तुलसीराम ने देश को दिखाया समाज का आईना..धमतरी पहुँचने पर कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने पुष्प गुच्छ देकर दी शाबासी..
धमतरी। जब देश का युवा रोजगार और सरकारी नौकरियों की दौड़ में खुद को खोता जा रहा है, एक ऐसा शख्स भी है जिसने पांचवीं फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी न पढ़ाई से, न हालात से और न ही समाज की उस गंदगी से जो नशे के ज़रिये फैल रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं कुरूद के ग्राम चर्रा निवासी तुलसीराम साहू की जो पेशे से एक सामान्य मज़दूर हैं, लेकिन सोच में बड़े और समाज के लिए मिसाल हैं।
रोजी मजदूरी की कमाई से घर चलाते हैं, और जो कुछ बचता है, उससे हर साल देश को नशा मुक्त करने के लिए एक लंबी और साहसी यात्रा पर निकल जाते हैं। इस बार उन्होंने धमतरी से साइकिल उठाई और सीधे छत्तीसगढ़ से होते हुए पंजाब के ब्यास डेरा (राधास्वामी सत्संग) तक पहुंचे। न जीपीएस, न मोबाइल मैप फिर भी रास्ता सीधा बिना किसी नेविगेशन सिस्टम, बिना लाइट या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के, महज़ विश्वास और संकल्प के सहारे तुलसीराम ने 16 दिन जाना और 16 दिन लौटकर 6 राज्यों में अपनी बात पहुंचाई। जहां अंधेरा मिला, वहीं रुक गए जहां समझ आया, वहीं से रास्ता बदल लिया। नक्शे की नहीं, उन्हें समाज की दिशा बदलनी थी।
धमतरी टीवी से चर्चा करते हुए तुलसीराम अपनी जीवन गाथा के बारे जानकारी देते हुए बताया कि मैं पांचवीं क्लास के बाद पढ़ाई नहीं कर सका।गांव में भैस गाये चराते हुए बड़ा हुआ हूं... लेकिन जब बच्चों को शराब और नशे में डूबा देखा तो मेरा मन कांप गया... तभी से ठान लिया कि मुझे कुछ करना है। पहली बार वो 2020 में धमतरी से दिल्ली लाल किला तक पहुंचे थे महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर। फिर 2024 में अयोध्या राम जन्मभूमि तक यात्रा की। और अब, ये तीसरी बड़ी यात्रा 6 राज्यों में नशा मुक्ति का संदेश लेकर निकले। तुलसीराम कोई नामी नेता, समाजसेवी या अफसर नहीं हैं। वो सिर्फ़ एक आम मजदूर हैं, जो दिहाड़ी से पैसे जोड़ते हैं और फिर उन्हें देश के नाम खर्च कर देते हैं।समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए न कोई स्पॉन्सर है, न प्रचार... फिर भी उनका हौसला इतना ऊंचा है कि आज वो हजारों युवाओं को प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बालोद, धमतरी, कांकेर, दुर्ग, रायपुर जैसे जिलों में नशा मुक्ति पर ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए हैं। 2019 में अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक साइकिल रेस में हिस्सा लेकर 12वें स्थान पर रहे बिना किसी विशेष ट्रेनिंग या सुविधा के। तुलसीराम जैसे लोग समाज को आईना दिखाते हैं जो ये बताने आए हैं कि बदलाव करने के लिए डिग्री नहीं, दिशा चाहिए। बिना लाइट और बिना मैप के निकले इस सफर में उनके पास सिर्फ़ एक चीज़ थी ज़मीर, जो आज बहुतों के पास नहीं है।वही धमतरी पहुँचने पर कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने तुलसीराम को प्रशस्ति पत्र देकर इस नशामुक्ति यात्रा के लिए उन्हें शाबासी दी।