धमतरी।जिला प्रशासन के द्वारा संवर्धन संरक्षण को लेकर दो दिवसीय जल जगार महोत्सव का आयोजन 5 व 6 अक्टूबर को गंगरेल बांध के तट पर स्थित बरदिहा लेक रिजॉर्ट धमतरी मे आयोजित किया गया। जिसमें देश विदेश से आये विशेषज्ञों ने जल संरक्षण पर चर्चा की और अपने अनुभव साझा भी किया।
मगर जिले के अधिकांश लोगों जलजगार क्या है.. ये पता ही नही? बस इतना जरूर मालुम था कार्यक्रम में ड्रोन शो अउ काही कुछु नवा देखना है साथ मे अनुज,आरु आउ गरिमा के कार्यक्रम ल देखना हैं। जल जागरूकता को लेकर शायद सिर्फ शहर में ही प्रसार प्रचार किया गया है वही ग्रामीण इलाकों में इसका कोई खास परफार्मेंस देखने को नही मिला।
प्रशासन के द्वारा दो दिन ढिढोरा पिटने से कोई जल का स्तर बढ़ नही जाएगा। जल का महत्व सिर्फ जीवनदायिनी अन्नदेव किसान को ही मालूम है उन्हें समझने समझाने की कोई जरूरत नही।
अगर समझने की जरुरत तो शासन और प्रशासन तंत्र को समझना चाहिए कि पानी का असली स्रोत क्या है ..क्या नही? तो उन्हें ये बताना लाजिमी होगा कि पानी का असली सोख्ता हमारी ये नदीया हैं ..जहाँ से रेत की उपस्थिति से यह जल लेबल नियंत्रित होता है ।
मगर शासन प्रशासन के आड़ में हो रहे रेत के अँधाखेल के कारण हमारा वाटर लेबल गिर रहा हैं। मगर इस रेत के खेल को नियंत्रित करने के बारे में किसी बड़बोले नेता या प्रशासन ने इस बारे में कही नही कहा...साहब ताली बजाकर चले जाने जलस्तर नही बढ़ जाता..शहरों से तालाब और गाँवो से कुँए गायब हो रहे है मगर इनसे शासन प्रशासन कोई मतलब नही?
जलजगार का ढिढोरा पीटने वालो ये सबको मालूम है जल ही जीवन..जल है तो कल है... कुल मिलाकर कहे तो नेता मंत्री को खुश करने के लिए ये एक अधूरा मिशन था।वही इस कार्यक्रम में पधारे एक मंत्री ने मंच से जिला प्रशासन की तारीफ में इतना अप्रत्याशित और अविश्वसनिय बात कह गए कि उनके इस अभियान से धमतरी का जल स्तर बढ़ गया हैं?
मंत्री जी जल स्तर बढ़ नही रहा हैं ..निरन्तर गिरते जा रहा हैं....अगर आपमें हिम्मत हैं तो नदियों से दिन रात निकाले जा रहे रेत को नियंत्रित कीजिये बाकी जल का जो स्तर हैं वह स्वयं नियंत्रित हो जाएगा और बढ़ भी जाएगा। एक ओर जहाँ लोगों में जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था लेकिन इस जल जगार कार्यक्रम को लेकर ग्रामीण भी नाराज हुए।
बताया जाता हैं इस आयोजन को लेकर ग्राम पंचायत सदस्य व पदाधिकारियो को भी आमंत्रित किया गया था मगर कार्यक्रम में आने पर उनकी क्या पूछ परख हुई बेचारे वे ही जानते है। ग्रुप में आये इन ग्रामवासियों को बकायदा पास तो दिया गया था जिसको लेकर सब विभिन्न कार्यक्रमों का आनंद लेने के सपने संजोकर गंगरेल जलजगार महोत्सव में तशरीफ़ लेने पहुँचे। इंट्री पास को बकायदा हाथों में रक्षासूत्र की तरह लपेटकर सीना तान सभी गंतव्य स्थल की ओर रवाना होने आगे बढ़े तभी सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस कर्मियों द्वारा इन ग्रामीणों को जाने का इतना मार्ग दिखाया कि ये ग्रामीण थक हारकर अपने गाँव वापस जाना उचित समझा।
पत्रकारो ने इन ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचे लोगो से पूछ लिया कि कार्यक्रम में क्यो नही जा रहे ...इतना पूछना क्या हुआ इन ग्रामीणों के तेवर सातवें आसमान पर चढ़ गए..और जाते जाते जिला प्रशासन की इतनी बखिया उधेड़ते गए कि हमे भी शर्म महसूस होने लगी।
फिर हमें भी अहसास हुआ कि ये कार्यक्रम समस्त अधिकारी कर्मचारी को परेशान कर सिर्फ मंत्री मिनिस्टर व जनप्रतिनिधियों को खुश करने के लिए ही आयोजित किया गया है। बाकी जिलेवासियों की किसी प्रकार का पूछपरख नही थी। और जो आये भी उन्हें भी अपमान स्वरूप वापस जाना पड़ा। अगर वास्तविकता में झांके तो इस जल जगार कार्यक्रम को अगर हम फ्लॉप और मनोरंजन कार्यक्रम की संज्ञा दे तो ये अतिसंयोक्ति नहीं होगी।