*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष* 



अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। साल 2024 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम इंस्पायर इंक्लूजन है, इसका मतलब है कि एक ऐसी दुनिया बने जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले। महिला दिवस, महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने का एक अवसर है। यह दिवस महिलाओं के सम्मान और उनके समाज में योगदान को महसूस कराने के लिए मनाया जाता है। महिलाओं ने समाज को विकसित बनाने में अहम भूमिका निभाई है।  घरेलू कामों के अलावा समाज के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में भी अपने कौशल का प्रदर्शन करती हैं। उनका योगदान शिक्षा, सेवा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कई अन्य क्षेत्रों में बेहद खास है।


हमारे देश में करोड़ ऐसी महिलायें है, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों से लड़कर प्राप्त की है जीत और नारी के भीतर सामाहित शक्ति का परिचय दिया है। ये महिलायें अपने साथ-साथ अपने परिवार को साथ आगे बढ़ाने का काम करती आयी है। किसी भी महिला की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, उसका परिवार। महिला सवेरे से देर रात तक सिर्फ सिर्फ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में लगी रहती है, या कहें तो उसकी पूरी दुनिया ही घर में समाहित है। 

कहते हैं ना कि हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा याने जो इंसान हिम्मत रखते हैं यानी कोशिश करना नहीं छोड़ते उनकी खुदा भी मदद करता है । यानी कि भगवान खुद सहायता करता है।

एक ऐसी ही कहानी है धमतरी जिले के बांसपारा में रहने वाली एक संघर्षशील महिला सरोज साहू की जिसने अपने परिवार के लिए अपने सम्पूर्ण जीवन की पूर्णाहुति दे दी। पति के स्वर्गवास हो जाने के बाद परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर नगर के घड़ी चौक में एक छोटी सी चाय की दुकान चलाकर अपना और परिवार का भरण पोषण कर रही है। भले ही ये छोटी सी चाय दुकान गुमटी छोटी हैं मगर सरोज के मजबूत इरादे व मेहनत से इस छोटी सी दुकान के सहारे हो सरोज साहू ने अपनी दो बेटियों की शादी की है। साथ ही  एक छोटा सा अपना आशियाना भी बनवाया है। पति के गुजर जाने के लगभग आठ साल से अपना ये छोटा सा कारोबार कर आज भी जीवन का हर संघर्ष को चुनौती दे रही हैं.. ऐसी संघर्षशील नारी जो एक माँ भी हैं और अपना सम्पूर्ण दायित्व का फर्ज अदा कर रही हैं उन्हें धमतरी टीवी परिवार सलाम करती हैं प्रणाम करती हैं।आज कही न कही हमारे सामाजिक सिस्टम में कुछ कमी हैं तो कुछ कमियां सरकार की भी हैं जिसके कारण महिलाओं को जो अधिकार मिलना चाहिए वो नही मिल पा रहा हैं.. प्रधानमंत्री मोदी के कुछ योजनाओं व निर्णय से  कुछ समानता व सुधार कुछ हद तक वर्तमान परिवेश में देखने को जरूर मिल रही हैं। जिससे महिलाओं में एक नया संचार व ताकत मिल रहा हैं।

आज सिर्फ एक दिन महिला दिवस मनाकर अपने दायित्व की पूर्ति समझ लेना गलत होगा। देश सही मायने में तब विकसित होगा, जब महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर और अधिकार प्राप्त हों, महिलायें शिक्षित होकर अपने उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बने, महिलाओं को उचित स्वास्थ्य सुविधा मिले, घरेलू हिंसा से मुक्त हो, और महिला उद्यमिता महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने का अवसर प्राप्त होगा, तभी देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी के सपने 2047 विकसति भारत की परिकल्पना साकार हो सकेगी।

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