धमतरी।वर्ष 2013 में भाजपा शासन के द्वाराआई टी आई में नियमित प्रशिक्षण अधिकारियो की भर्ती हुई थी । प्रशिक्षण अधिकारी 11 वर्षो से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे है । परन्तु विभाग में कार्यरत अराजक तत्वों द्वारा समय समय पर भर्ती को रदद् करने के प्रयास किया गया । विभागीय शिकायत, उसके पश्चात लोकायोग, उसके पश्चात माननीय उच्च न्यायलय में याचिका दायर किया गया । उच्च न्यायलय के हस्तक्षेप के पश्चात 8 वर्षो बाद परीविक्षा अवधि समाप्त किया गया । परन्तु शासन बदलते ही अधिकारियो द्वारा पुनः कर्मचारियों को नोटिस थमाया गया और सभी लाभ जैसे ट्रेनिंग, परीवीक्षा अवधि, समयमान, प्रमोशन आदि से वंचित कर दिया गया है । उक्त नोटिस से जवाब में 50 प्रशिक्षण अधिकारियो द्वारा माननीय न्यायलय में याचिका दायर किया गया । जिसमे विभाग द्वारा जारी नोटिस को खारिज कर माननीय नयायलय द्वारा प्रशिक्षण अधिकारियो के पक्ष में 3.03.2022 और 4.04.2022 आदेश पारित किया गया । जिसमे यह स्पष्ट किया गया कि आरक्षण रोस्टर का कार्य अधिकारियो का है न कि अभ्यर्थियों का पुन: विभाग द्वारा डबल बेंच में अपील क्रमांक 08/2023 दायर किया गया जिसमे माननीय न्यायलय द्वारा अपील खारिज कर एकल पीठ के निर्णय को उचित ठहराया गया ।


माननीय न्यायलय के निर्णय से स्पष्ट है कि सेवारत प्रशिक्षण अधिकारियो को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के तहत संरक्षण प्राप्त है। केवल कारण बताओ नोटिस से सेवा समाप्त नहीं किया जा सकता है । स्पष्ट है कि इस प्रकरण का प्रशिक्षण अधिकारियो से कोई सम्बन्ध नहीं है । किसी भी भर्ती में प्रदर्शित पदों की संख्या विभाग में उपलब्ध पूर्व के आरक्षण रजिस्टर के आधार पर होती है । विभाग के द्वारा पुनः अधिकारियो द्वारा 6 माह से प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही जा रही है जो कि कर्मचारियों के लिए पीड़ादायक एवं न्याय संगत नही है ।


वही इन पीड़ित कर्मचारियों ने शिक्षा मंत्री से  निवेदन कर कहा है कि वर्षों की इस पीड़ा से हमें वंचित लाभ कर्मचारियों को करने अधिकारियो को निर्देशित करें ताकि हमारे कर्मठ साथीगण स्किल इंडिया के अमृत काल में अपना सम्पूर्ण ध्यान  आईटीआई में प्रशिक्षण कार्यों पर ध्यान केन्द्रित कर सके ।

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