धमतरी। एक असहाय पीड़ित महिला ने प्रेस क्लब के सामने सुनाई अपनी आप बीती जिसे सुनकर नगर निगम की कही न ज्यादती साफ नजर आती है।महिला की जुबानी उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार है.. बुधवार की सुबह 11 बजे का वक्त था और नगर निगम के इशारे पर अपने समूह की दुकान के लिए संघर्षरत महिला दुर्गा महिलांगे समूह के दुकान के आगे अपना विरोध प्रकट कर रही थी..मगर उस असहाय महिला को न्याय देने के बजाय अन्याय का रास्ता अपनाकर एक हरिजन महिला को घसीटते हुए कुछ महिलाएं व पुलिस कर्मी घसीटकर महिला को पुलिस वैन में बिठाया और ले गए कोतवाली..। यह कोई फिल्मी दृश्य (शूटिंग) नहीं था। बल्कि एक ऐसी घिनौनी हकीकत जिसने शर्म को भी शर्मसार कर दिया। अफसोस यह कि वहां मौजूद दुकानदार व लोगों ने प्रतिकार भी नहीं किया। दरअसल सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। इस अभियान पर नेता- नौकरशाह ही पलीता लगा रहे। योजना तो संचालित हैं पर महिलाओं के हक की अनदेखी हो रहीं। योजनाओं का संचालन भी सहीं नहीं हो रहा। इसी अनदेखी का प्रमाण धमतरी में देखने को मिल रहा। महिलाओं के लिए बने ज्यादातर दुकानों में अब पुरुषों का कब्जा है। महिला समृद्धि बाजार की योजना धमतरी में विफल होते दिखाई दे रही है। बाजार का निर्माण केवल महिलाओं को व्यवसाय के लिए दुकान उपलब्ध कराने के लिए हुआ है पर यह उद्देश्य ही खो गया है। महिलाओं के नाम पर लिए गए अधिकांश
दुकान या तो महिला के पुरूष रिश्तेदार चला रहें हैं या फिर किसी पुरूष को किराए पर दे दिया गया है। सरकार की इस योजना पर निगम अफसर भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे। यहां महिलाओं को दुकान देकर आगे बढ़ाने के बजाए अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए एकसूत्रीय लेनदेन अभियान कर पुरुषों व बाहरी लोग पर मेहरवान  हैं।
 स्वावलंबी बनने के लिए है यह योजना
छग के सभी जिलों के साथ धमतरी में महिला समृद्धि बाजार का निर्माण हुआ है। इस योजना में एक लाख रुपए से कम सालाना आय अर्जित करने वाले परिवार की महिलाएं योजना की हितग्राही मानी जाती हैं। 2015 में निगम ने हाट बाजार मद से समृद्धि बाजार बनाया है। प्रथम तल में 60 लाख खर्च कर दिए गए यहां 42 दुकानें हैं। ही हाथ आई है। सालभर तक दुकानें नहीं उठीं वजह थी व्यवसायिक गतिविधियों की कमी। महिला समूहों से जुड़ी गरीब परिवार की महिलाओं को इससे लाभ पहुंचना था। इसलिये 2016 में तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ने आजीविका चलाने के लिए समूहों को दुकानें दिलाई। दुकान नंबर 1 आरती महिला स्वसहायता समूह को दिया गया था।
 कमीशन का है चक्कर
12 सितंबर को महिला समूह की दुकान से सामान जब्त कर निगम ने सील कर दिया। शॉप नं 1 आरती स्वसहायता समूह लालबगीचा को 6 साल पूर्व आवंटित किया गया है जिसमे अध्यक्ष सचिव सहित 10 महिलाएं जीवकोपार्जन करते रहीं हैं। रोज की तरह  सितंबर की शाम दुकान बंद करके घर गई। 2 सितंबर की सुबह निगम ने बिना किसी नोटिस दिए बगैर दुकान सील कर दी यहां तक दुकान में रखें 2 लाख के सामान जब्त कर भी लिया गया। गौरतलब रहे कि स्व सहायता समूह के सदस्यों के द्वारा अक्टूबर माह 2022 में बैंक से 3 लाख का ऋण लेकर अपने कार्य को प्रगति देने में लगी हुई थी।मगर इनके मंसूबो पर निगम ने पानी फेर दिया ..वही निगम के अफसर इस कार्रवाई को कब्जा हटाना करार दिया है। पीड़िता को 4 माह से न सामान सुपुर्द किया है न ही रसौद दी गई है। कमीशन के चक्कर में दुकान अन्य (पुरूष) दे दिया गया। दुर्गा महिलांगे ने जनप्रतिनिधियों, कलेक्टर एस पी थाना सहित महिला आयोग व मंत्री तक मदद की गुहार भी लगाई है। मगर उक्त महिला को अभी तक कोई दिलासा के बजाए सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।
महिला बाज़ार बनाने के पीछे सरकार की मंशा थी कि महिलाएं यहां अपने बनाए उत्पाद बेचेंगी। आत्मनिर्भर बनेंगी। खुद आर्थिक रूप से सक्षम होंगी साथ ही अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध कराएंगी योजना में महिला या समूह को दुकानों के लिए कोई बड़ी डिपॉजिट राशि या किराया देने का नियम नहीं था। पर नगर निगम के द्वारा सारे नियम व शर्तें बदल दी गई।  आरती महिला स्व सहायता समूह की सदस्य दुर्गा  महिलांगे ने नगर निगम में पदस्थ राजस्व अधिकारी निखिल चंद्राकर एवं देवेश चंदेल पर खुला आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर जल्द ही उनकी संस्था को दुकान वापस नहीं लौटाती  तो वे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी पीड़ा को रखकर इन अधिकारियों के खिलाफ  शिकायत करेंगे। न्याय नहीं मिलने के कगार पर  इच्छा मृत्यु के लिए गुहार लगाई जायगी।
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